ताल नलिन छटा बिखराती, कुंतल लट बिखरी जाती, गुंजन मधुप विषाद बढ़ाती, ताल नलिन छटा बिखराती, कुंतल लट बिखरी जाती, गुंजन मधुप विषाद बढ़ाती,
नयनों से नयना मिल जाएँ मन को अपने दर्पण कर दो। नयनों से नयना मिल जाएँ मन को अपने दर्पण कर दो।
जब-जब आह्लादित होता मन, गीत प्रणय के गाती हूँ। जब-जब आह्लादित होता मन, गीत प्रणय के गाती हूँ।
मीठे गीत प्रणय के गाकर और रात सपनों में आकर मुझको रोज छला करती है। मीठे गीत प्रणय के गाकर और रात सपनों में आकर मुझको रोज छला करती है।
क्योंकि चाहत हो तुम मेरी पहली औऱ आख़री भी, तुमसे ही वज़ूद मेरा, तुम बिन मैं कुछ नहीं। क्योंकि चाहत हो तुम मेरी पहली औऱ आख़री भी, तुमसे ही वज़ूद मेरा, तुम बिन मैं कुछ...